★ भागीरथी गंगा की उद्गम धारा है | यह 3,892 मीटर (12,770 फुट) की उंचाई पर स्थित गोमुख में गंगोत्री ग्लेशियर से उत्पन्न होती है | अनेक छोटी-छोटी धाराएं गंगा के मुख्य जल का भाग बनती हैं | इनमें महत्वपूर्ण धाराएं हैं, अलकनन्दा, धौलीगंगा, पिंडर, मंदाकिनी और भिलंगना | देव प्रयाग में, जहां अलकनन्दा भागीरथी से मिलती है, यह नदी गंगा का नाम धारण कर लेती है | बंगाल की खाड़ी में मिलने से पूर्व यह 2525 किमी का मार्ग तय करती है | इस यात्रा के दौरान इसमें मिलने वाली सहायक नदियों की संख्या अन्य नदियों की तुलना में सबसे अधिक है |
|
★
उत्तराखण्ड में टिहरी के निकट भागीरथी पर जल-विद्युत सृजन के लिए एक बांध का निर्माण किया गया है जिसके फलस्वरुप शुष्क माहों के दौरान अतिरिक्त जल को बेहतर रुप से विनियमित किया जाता है | हरिद्वार में गंगा अपने गंगा के मैदानों की ओर बहती है जहां एक बैराज इसके जल की बड़ी मात्रा को उपरी गंगा कैनाल में प्रवाहित करता है जिससे सिंचाई के लिए पानी प्राप्त होता है | बिजनौर में एक अन्य बैराज इसके जल को मध्य गंगा कैनाल में प्रवाहित करता है, परंतु ऐसा केवल मानसून के माहों के दौरान ही किया जाता है | नरोरा में, जल को निम्न गंगा कैनाल में पुन: प्रवाहित किया जाता है |
|
★
आगे चलकर, कन्नौज के निकट रामगंगा नदी गंगा नदी से मिलती है जिससे इस नदी में अतिरिक्त जल आ जाता है | इलाहाबाद में संगम पर यमुना गंगा से मिलती है जिससे नदी के प्रवाह में महत्वपूर्ण योगदान प्राप्त होता है | इलाहाबाद के बाद, गंगा में अनेक सहायक नदियां आकर मिल जाती हैं जिनमें से अधिकांशत: उत्तर की ओर से तथा कुछेक दक्षिण की ओर से आती हैं | इस प्रकार, उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद तथा पश्चिम बंगाल में मालदा के बीच के भू-भाग में गंगा का प्रवाह अत्यधिक तीव्र होता है | पश्चिम बंगाल में फर्रक्का बैराज नदी के प्रवाह को विनियमित करता है तथा कुछ जल को हुगली से जोड़ने वाली फीडर कैनाल में प्रवाहित कर देता है जिससे यह जल सापेक्षी रुप से गादमुक्त रहता है | गंगा नदी दाहिने भाग पर भागीरथी (हुगली) तथा बाएं भाग पर पदमा के रुप में दो नदियों में विभाजित हो जाती है | भागीरथी कोलकाता से लगभग 150 किमी दूर बंगाल के खाड़ी में मिल जाती है | पदमा बंगला देश में प्रवेश करती है तथा अंतत: बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व मुख्य नदियों ब्रह्मपुत्र तथा मेघना से मिलती है |
|